लेखनी कविता -रूपांतर - जगदीश गुप्त

38 Part

48 times read

1 Liked

रूपांतर / जगदीश गुप्त गिरती हुई धारों को तेज़ हवा के झोंके फुहारों में बदल देते हैं, दृश्य से परे देर तक लहराती रहती हैं, धारों को काटती हुई फुहारें और ...

Chapter

×